भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में कई बड़े बदलावों की घोषणा की है, जो छात्रों के लिए लचीलापन, व्यावहारिक अनुभव और बेहतर अवसर लेकर आएंगे। ये बदलाव नए शैक्षणिक सत्र से लागू होने की उम्मीद है और इनका उद्देश्य छात्रों को आधुनिक समय की जरूरतों के अनुसार तैयार करना है।
अब तक विश्वविद्यालयों में दाखिला आमतौर पर साल में एक बार, जुलाई-अगस्त में होता था। लेकिन अब यूजीसी ने इसे और सुविधाजनक बना दिया है। नए नियमों के तहत, विश्वविद्यालय साल में दो बार – जुलाई-अगस्त और जनवरी-फरवरी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे। इसका मतलब है कि अगर आप किसी कारणवश पहले सत्र में दाखिला नहीं ले पाए, तो आपको अगले साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह बदलाव उन छात्रों के लिए वरदान है जो समय की कमी या अन्य कारणों से दाखिला प्रक्रिया में देरी का सामना करते हैं। विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास इन दो सत्रों को संभालने के लिए पर्याप्त संसाधन, सुरक्षा और बुनियादी ढांचा हो।
डिग्री पूरी करने की समय सीमा में लचीलापन
यूजीसी ने डिग्री कोर्स की अवधि को लेकर भी छात्रों को बड़ी राहत दी है। अब आप अपनी सुविधा के अनुसार डिग्री को कम या ज्यादा समय में पूरा कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर आप चार साल का स्नातक कोर्स कर रहे हैं, तो इसे पांच साल तक बढ़ा सकते हैं। वहीं, अगर आप जल्दी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, तो इसे तीन या साढ़े तीन साल में भी खत्म कर सकते हैं। इसी तरह, तीन साल के कोर्स को दो या ढाई साल में पूरा करने का विकल्प भी उपलब्ध होगा। हालांकि, दो साल में कोर्स पूरा करने के लिए सीमित सीटें होंगी, और केवल 10% आवेदकों को यह मौका मिलेगा। यह लचीलापन छात्रों को अपनी गति से पढ़ाई करने और अन्य जिम्मेदारियों को संभालने की आजादी देता है।
अप्रेंटिसशिप: इंडस्ट्री के लिए तैयार होंगे छात्र
आज के समय में केवल किताबी ज्ञान काफी नहीं है। नौकरी के लिए व्यावहारिक अनुभव और इंडस्ट्री की समझ जरूरी है। इसीलिए यूजीसी ने स्नातक कोर्स में अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब है कि अब छात्रों को पढ़ाई के दौरान ही इंडस्ट्री में काम करने का अनुभव मिलेगा। तीन साल के कोर्स में पहले से तीसरे सेमेस्टर तक, और चार साल के कोर्स में दूसरे से चौथे सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप होगी। इस दौरान छात्रों को 10 क्रेडिट स्कोर भी मिलेगा, जो उनकी डिग्री का हिस्सा होगा। यह कदम छात्रों को नौकरी के लिए बेहतर तरीके से तैयार करेगा और उन्हें प्रैक्टिकल स्किल्स सीखने का मौका देगा।
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट: पढ़ाई में आजादी
यूजीसी ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की सुविधा लागू की है। इसका मतलब है कि अगर आप किसी कारणवश कोर्स बीच में छोड़ना चाहते हैं, तो आपको उस स्तर तक का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा मिलेगा। बाद में आप दोबारा पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। इस सिस्टम में स्किल प्रोग्राम और वोकेशनल एजुकेशन को भी शामिल किया गया है। कोर्स में 50% क्रेडिट मुख्य विषयों से और बाकी 50% क्रेडिट स्किल कोर्स या अन्य गतिविधियों से प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय ज्ञान प्रणाली (इंडियन नॉलेज सिस्टम) को भी अनिवार्य किया गया है, जिसमें छात्रों को 5% क्रेडिट हासिल करना होगा। यह नियम पढ़ाई को और समग्र बनाएगा।
सत्र के बीच में नहीं बदलेंगे नियम
छात्रों को बार-बार बदलते नियमों की परेशानी से बचाने के लिए यूजीसी ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब कोई भी विश्वविद्यालय या कॉलेज शैक्षणिक सत्र के बीच में नए नियम लागू नहीं कर सकेगा। चाहे कोर्स ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, परीक्षा पैटर्न और अन्य नियमों की जानकारी सत्र शुरू होने से पहले ही दे दी जाएगी। इससे छात्रों को पढ़ाई की योजना बनाने में आसानी होगी और अनिश्चितता कम होगी।