भारत के पानी रोकने के फैसले पर पाकिस्तान बौखलाया, दी युद्ध की धमकी

By Prithavi Raj

Published on:

6:11 PM

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में नया तूफान ला दिया। इस हमले में 26 मासूम पर्यटकों की जान चली गई जिसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1960 के सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया। इस फैसले ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। पाकिस्तान ने इसे युद्ध की कार्रवाई करार देते हुए वाघा बॉर्डर बंद कर दिया और भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई मार्ग रोक दिए। 

पहलगाम की खूबसूरत बैसारन घाटी जो पर्यटकों के लिए स्वर्ग से कम नहीं, उस दिन खून से लथपथ हो गई। खबरों के मुताबिक छह आतंकियों ने सुनियोजित तरीके से इस हमले को अंजाम दिया। उनके पास एके-47 राइफलें थीं और उन्होंने पर्यटकों को निशाना बनाया। भारत का दावा है कि इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं और इसे “सीमा पार आतंकवाद” का हिस्सा बताया गया। इस हमले ने 2019 के पुलवामा हमले की यादें ताजा कर दीं जिसके बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी।

हमले की खबर सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौट आए। उन्होंने तुरंत कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक बुलाई जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गृह मंत्री अमित शाह और अन्य बड़े अधिकारी शामिल थे। इस बैठक में भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए कई बड़े फैसले लिए।

सिंधु जल समझौता, क्यों है इतना अहम?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से सिंधु जल समझौता हुआ था। इसके तहत सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज का पानी बांटा गया। समझौते के अनुसार, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का लगभग 80% पानी मिलता है, जबकि भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का नियंत्रण दिया गया। यह समझौता दक्षिण एशिया के सबसे सफल समझौतों में से एक माना जाता था क्योंकि यह दोनों देशों के बीच कई युद्धों और तनावों के बावजूद टिका रहा।

पाकिस्तान के लिए ये नदियां उसकी अर्थव्यवस्था और जनता की जिंदगी की रीढ़ हैं। इनका पानी वहां की खेती, बिजली उत्पादन और पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करता है। विशेषज्ञों के अनुसार इन नदियों से मिलने वाला पानी पाकिस्तान की 23% राष्ट्रीय आय और 68% ग्रामीण आबादी के लिए जरूरी है। ऐसे में भारत का समझौता रद्द करने का फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है।

पानी रोकने से लेकर बॉर्डर सील 

CCS की बैठक के बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता तब तक सिंधु जल समझौता निलंबित रहेगा। इसके अलावा भारत ने निम्नलिखित फैसले लिए:-

  • अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: भारत ने अटारी बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच सड़क मार्ग से होने वाला व्यापार पूरी तरह ठप हो गया। यह बॉर्डर भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित व्यापार का बड़ा केंद्र था, और इसके बंद होने से पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा।
  • पाकिस्तानी नागरिकों पर पाबंदी: भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। साथ ही, SAARC वीजा छूट योजना के तहत उनके वीजा रद्द कर दिए गए।
  • राजनयिक कदम: नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास के सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर एक हफ्ते में देश छोड़ने को कहा गया। भारत ने भी इस्लामाबाद में अपने सलाहकारों को वापस बुला लिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा “हमलावरों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” भारत का कहना है कि पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का हाथ है और खुफिया जानकारी के मुताबिक PoK में 42 आतंकी लॉन्चपैड्स सक्रिय हैं।

पाकिस्तान की धमकी, युद्ध की चेतावनी 

पाकिस्तान ने भारत के इन कदमों को “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 24 अप्रैल को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की आपात बैठक बुलाई जिसमें कई जवाबी फैसले लिए गए। पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई मार्ग रोक दिए और भारतीय नागरिकों के SAARC वीजा रद्द कर दिए। सिर्फ सिख तीर्थयात्रियों को छूट दी गई।

पाकिस्तान के डिप्टी PM इशाक दार ने कहा “भारत ने बिना सबूत के हम पर हमले का आरोप लगाया। सिंधु का पानी रोकना युद्ध की शुरुआत होगी।” पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शिकायत करने की बात कही और शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी। हालांकि जानकार इसे पाकिस्तान की दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है और पानी की कमी उसे और मुश्किल में डाल सकती है।

क्या होगा पानी रोकने का असर?

सिंधु जल समझौता रद्द होने का असर तुरंत नहीं दिखेगा क्योंकि भारत के पास अभी इतने बड़े बांध नहीं हैं कि वह इन नदियों का पानी पूरी तरह रोक सके। लेकिन भारत रन-ऑफ-रिवर प्रोजेक्ट्स के जरिए पानी के प्रवाह को कम कर सकता है। इससे पाकिस्तान में खेती बिजली उत्पादन और पीने के पानी की कमी हो सकती है। वहां की 80% खेती योग्य जमीन और प्रमुख शहर जैसे कराची लाहौर और मुल्तान इन नदियों पर निर्भर हैं।

हालांकि भारत को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में पाकिस्तान इस फैसले को चुनौती दे सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन माना जा सकता है जिससे भारत को वैश्विक आलोचना झेलनी पड़ सकती है। फिर भी भारत का यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।

दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव

यह तनाव 2019 के बालाकोट संकट के बाद सबसे बड़ा है। उस समय भारत ने पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। इस बार भी भारत की सेना हाई अलर्ट पर है और खुफिया जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान समर्थित आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, राजनयिक संबंध और आवागमन लगभग खत्म हो चुके हैं।

पाकिस्तान की धमकियों के बावजूद उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था और आंतरिक समस्याएं उसे बड़े कदम उठाने से रोक सकती हैं। दूसरी ओर भारत का सख्त रुख और आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति उसे और आक्रामक फैसले लेने के लिए प्रेरित कर सकती है।

Prithavi Raj

मैं राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला हूँ और LLB की हुई हैं। वकील होने के साथ-साथ मुझे लोकल न्यूज़ पढ़ना और लिखना काफी पसंद है। मैंने 7 साल से कई बड़े न्यूज़ पोर्टल पर अपना योगदान दिया है।

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