उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए एक खुशखबरी है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में इन शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। न केवल शिक्षकों के मासिक मानदेय में भारी बढ़ोतरी की गई है बल्कि उनके कार्यकाल को भी दो और शैक्षिक सत्रों के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों के परिजनों के लिए भी डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा शुरू की गई है। यह कदम शिक्षकों के जीवन को बेहतर बनाने और संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
प्रदेश सरकार ने संस्कृत विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उनके मानदेय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। हाईस्कूल स्तर (पूर्व मध्यमा) पर पढ़ाने वाले शिक्षकों का मासिक मानदेय अब पहले की तुलना में काफी बढ़कर एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
इसी तरह इंटरमीडिएट स्तर (उत्तर मध्यमा) पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी मानदेय में बढ़ोतरी की गई है। यह बदलाव करीब 1,020 शिक्षकों को लाभ पहुंचाएगा जो इन स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह बढ़ोतरी शिक्षकों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ उनके मनोबल को भी बढ़ाएगी जिससे वे और अधिक उत्साह के साथ संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा को पढ़ाने में योगदान दे सकेंगे।
शिक्षकों का कार्यकाल दो साल और बढ़ा
मानदेय में वृद्धि के साथ-साथ सरकार ने शिक्षकों के कार्यकाल को भी बढ़ाने का फैसला किया है। जिन शिक्षकों को 2021 और 2023 में मानदेय पर नियुक्त किया गया था और जो अभी भी कार्यरत हैं, उनका कार्यकाल अब शैक्षिक सत्र 2025-26 और 2026-27 तक बढ़ा दिया गया है।
यह फैसला उन शिक्षकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो नियमित नियुक्ति की प्रतीक्षा में हैं। इस कदम से न केवल शिक्षकों को नौकरी की सुरक्षा मिलेगी बल्कि संस्कृत विद्यालयों में शिक्षक shortage की समस्या भी कम होगी। यह निर्णय संस्कृत शिक्षा को और मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एडेड कॉलेज शिक्षकों के लिए डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा
संस्कृत स्कूलों के शिक्षकों के लिए अच्छी खबर के साथ-साथ सहायता प्राप्त (एडेड) कॉलेजों के शिक्षकों के परिजनों के लिए भी एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। अब इन कॉलेजों के उन शिक्षकों के परिजनों को डेथ ग्रेच्युटी के रूप में 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी जिनकी मृत्यु 58 साल की उम्र से पहले हो जाती है या जिन्होंने 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था लेकिन विकल्प बदलने से पहले उनकी मृत्यु हो गई।
यह सुविधा शिक्षकों के परिवारों को आर्थिक संकट के समय सहारा देगी और उनके भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी। यह कदम सरकार की संवेदनशीलता और शिक्षक समुदाय के प्रति उसकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।