जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर मिलिट्री स्टेशन के लिए एक महत्वपूर्ण फैसले में खातीपुरा पुलिया के पास स्थित 260 बीघा जमीन पर सेना के स्वामित्व को सही ठहराया है। यह फैसला सेना के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि इस भूमि पर पिछले कई दशकों से कानूनी विवाद चला आ रहा था।
हाईकोर्ट ने सेना के पक्ष में सुनाया फैसला
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की अपीलों को स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि विवादित भूमि सेना की संपत्ति है। यह फैसला जयपुर मिलिट्री स्टेशन के हित में है, जो इस भूखंड पर कई वर्षों से अपना दावा कर रहा था। इस जमीन की अनुमानित कीमत करीब एक हजार करोड़ रुपये आंकी जा रही है, जिससे यह मामला और भी महत्वपूर्ण बन जाता है।
1950 में सेना को ट्रांसफर हुई थी भूमि
इस भूमि का विवाद बहुत पुराना है। सेना ने अदालत में दलील दी थी कि 1950 में जयपुर रियासत की तत्कालीन फौज, राजपूताना लांसर्स की करीब 3600 बीघा भूमि रक्षा विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थी। यह हस्तांतरण विधिवत रूप से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया गया और सेना ने इस पर कब्जा भी कर लिया था। लेकिन इसके बावजूद कुछ हिस्सों पर बाहरी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया, जिससे यह विवाद शुरू हुआ।
हालांकि, 1969 से ही इस भूमि को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी। स्थानीय अतिक्रमणकारियों ने जमीन पर अपने हक का दावा किया और मामला विभिन्न अदालतों तक पहुंचा। 1972 में जब सेना ने अतिक्रमित भूमि पर दोबारा कब्जा लिया, तो इसे अदालतों में चुनौती दी गई।
सेना के बेदखली के आदेश को पहले उपखंड अधिकारी न्यायालय ने निरस्त कर दिया, जिससे अतिक्रमणकारियों को राहत मिली। इसके बाद सेना ने इस फैसले को राजस्व अपीलीय अधिकारी और फिर राजस्व मंडल तक चुनौती दी, लेकिन वहां भी उसे निराशा हाथ लगी।
2005 से हाईकोर्ट में लंबित था मामला
जब सेना को अन्य अदालतों से राहत नहीं मिली, तो उसने इस मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ में पेश किया, जहां यह 2005 से लंबित पड़ा था। अब, लगभग दो दशक बाद, हाईकोर्ट ने सेना के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस भूमि को मिलिट्री स्टेशन के स्वामित्व की संपत्ति घोषित कर दिया।