शिक्षा के क्षेत्र में नौकरी कर रहे बीएड डिग्रीधारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के एक फैसले को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक शिक्षकों के लिए छह महीने का ब्रिज कोर्स शुरू करने का ऐलान किया है। यह कोर्स उन शिक्षकों के लिए जरूरी होगा, जो बीएड करने के बाद प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। खासकर उन लोगों के लिए, जिन्हें कुछ साल पहले नौकरी मिली थी। इस कदम से हजारों शिक्षकों को राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां बड़ी संख्या में बीएड वाले शिक्षक काम कर रहे हैं।
एनसीटीई ने यह कोर्स इसलिए शुरू किया है ताकि बीएड डिग्री वाले शिक्षक, जो प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं, अपनी नौकरी बचा सकें। दरअसल, नियम कहते हैं कि प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) होना चाहिए, न कि बीएड। लेकिन कई शिक्षक बीएड के साथ नौकरी कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में इस पर फैसला सुनाया था, जिसके बाद एनसीटीई ने यह रास्ता निकाला।
यह कोर्स खास तौर पर उन शिक्षकों के लिए है, जिन्हें 28 जून 2018 के बाद और 11 अगस्त 2023 से पहले प्राथमिक स्कूलों में नौकरी मिली। इस कोर्स के जरिए वे अपनी योग्यता को अपडेट कर सकेंगे और नियमों के दायरे में आ जाएंगे।
कौन करेगा कोर्स और कैसे होगा आयोजन?
यह ब्रिज कोर्स राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की देखरेख में होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इसकी निगरानी करेगा ताकि सब कुछ पारदर्शी तरीके से हो। जिन शिक्षकों को यह कोर्स करना है, उनके पास एनआईओएस के पाठ्यक्रम शुरू होने के एक साल का समय होगा।
यानी कोर्स शुरू होने की तारीख से 12 महीने के अंदर इसे पूरा करना जरूरी है। यह कोर्स छह महीने का होगा और इसमें प्राइमरी स्तर की पढ़ाई से जुड़ी खास ट्रेनिंग दी जाएगी। खास बात यह है कि शिक्षकों को सिर्फ एक मौका मिलेगा। अगर वे इसमें पास नहीं हुए, तो उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है। इसलिए इसे गंभीरता से लेना होगा।
शिक्षकों के लिए राहत की सांस
इस फैसले से उन हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है, जो अपनी नौकरी को लेकर चिंतित थे। खासकर उत्तर प्रदेश में, जहां 69,000 शिक्षक भर्ती में कई बीएड डिग्रीधारियों का चयन हुआ था, वहां यह खबर खुशी की लहर लेकर आई है। इन शिक्षकों को अब अपनी नौकरी छोड़ने या लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस उन्हें यह छोटा सा कोर्स पूरा करना है और वे अपनी सेवाएं जारी रख सकेंगे। शिक्षक भर्ती से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह फैसला शिक्षक समुदाय की एकजुटता और मेहनत का नतीजा है।