बैल खेती को नया जीवन, अब बैलों से खेती करने पर किसानों को मिलेंगे 30 हजार रुपए प्रति वर्ष

भारत की कृषि परंपरा सदियों से बैल आधारित खेती पर टिकी रही है। आधुनिक युग में ट्रैक्टर और मशीनों के आने से भले ही बैल खेतों से दूर हो गए हों लेकिन अब एक बार फिर से इस पारंपरिक पद्धति को नया जीवन देने की कोशिश की जा रही है।

By Prithavi Raj

Published on:

9:17 PM

कृषि भारत की रीढ़ है, और राजस्थान जैसे राज्य में, जहां छोटे और सीमांत किसान खेती पर निर्भर हैं। सरकार ने एक नई और प्रेरणादायक योजना शुरू की है। यह योजना बैलों के माध्यम से खेती करने वाले किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है जिससे न केवल उनकी आजीविका मजबूत होगी बल्कि जैविक खेती और गौवंश संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। 

आधुनिक युग में ट्रैक्टर और मशीनों ने खेती को तेज तो किया है लेकिन छोटे किसानों के लिए ये मशीनें महंगी साबित होती हैं। दूसरी ओर बैलों से खेती करने की परंपरा धीरे-धीरे कम हो रही है। राजस्थान सरकार ने इस कमी को पहचाना और बैल खेती को बढ़ावा देने के लिए एक खास योजना शुरू की। इस पहल का लक्ष्य है छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करना जैविक खेती को प्रोत्साहित करना और गौवंश की देखभाल को बढ़ावा देना। इससे न केवल किसानों की लागत कम होगी बल्कि रासायनिक उर्वरकों का कम उपयोग होने से पर्यावरण को भी लाभ होगा।

इसके अलावा सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं की संख्या को कम करने में भी यह योजना मदद करेगी। गौवंश को खेती के लिए उपयोग में लाने से उनकी देखभाल बढ़ेगी और उनका संरक्षण होगा। यह एक ऐसी पहल है जो आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने का वादा करती है।

कितनी मदद मिलेगी और क्यों है यह खास?

इस योजना के तहत, बैलों से खेती करने वाले किसानों को हर साल 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि छोटे किसानों के लिए एक बड़ा सहारा है, जो मशीनों की जगह बैलों का उपयोग करते हैं। बैल खेती न केवल लागत में किफायती है बल्कि यह प्राकृतिक खाद के उपयोग को भी बढ़ावा देती है। प्राकृतिक खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होती है जिससे फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है और बीमारियों का खतरा भी घटता है।

यह योजना 2025-26 के मुख्यमंत्री बजट में घोषित की गई थी और इसे विशेष रूप से राजस्थान के छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगी बल्कि पारंपरिक खेती को भी पुनर्जनन देगी।

कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?

यह योजना राजस्थान के उन किसानों के लिए है जो बैलों के साथ खेती करते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। सबसे पहले आवेदक को राजस्थान का स्थानीय निवासी होना चाहिए। उनके पास खेती के लिए एक जोड़ी बैल होने चाहिए, जिनकी उम्र 25 साल से कम हो। इसके अलावा किसान के पास तहसीलदार से प्रमाणित लघु किसान प्रमाण पत्र और पशुओं का बीमा होना जरूरी है।

जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए वन अधिकार पत्र की भी आवश्यकता होगी, जिसमें उनकी जमीन का विवरण, क्षेत्रफल, और अक्षांश-देशांतर जैसी जानकारी होनी चाहिए। ये शर्तें सुनिश्चित करती हैं कि यह योजना सही लाभार्थियों तक पहुंचे।

किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?

इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। इनमें शामिल हैं: आधार कार्ड, बैलों के मालिक होने का प्रमाण, बैंक खाते का विवरण, निवास प्रमाण पत्र, और जमाबंदी (जिसमें किसान का नाम दर्ज हो)। ये दस्तावेज यह सुनिश्चित करते हैं कि आवेदन प्रक्रिया पारदर्शी रहे और सहायता सही व्यक्ति तक पहुंचे।

आवेदन कैसे करें?

इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन प्रक्रिया को आसान रखा गया है। किसान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए, आपको राजस्थान सरकार के राज किसान साथी पोर्टल पर जाना होगा। वहां आवेदन फॉर्म खोलकर सभी जरूरी जानकारी भरनी होगी और दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इसके बाद फॉर्म को फाइनल सबमिट करना होगा।

अगर आप ऑनलाइन प्रक्रिया से सहज नहीं हैं, तो नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर ऑफलाइन फॉर्म भर सकते हैं। दोनों ही तरीकों से आवेदन आसान और सुविधाजनक है।

ऑफिशल नोटिफिकेशन डाउनलोड लिंक

Prithavi Raj

मैं राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला हूँ और LLB की हुई हैं। वकील होने के साथ-साथ मुझे लोकल न्यूज़ पढ़ना और लिखना काफी पसंद है। मैंने 7 साल से कई बड़े न्यूज़ पोर्टल पर अपना योगदान दिया है।

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