RBI के रेपो रेट घटाने पर भी इस बड़े बैंक ने चुपके से महंगा कर दिया लोन

HDFC Bank Loan Interest: आरबीआई ने जब से रेपो रेट में कटौती करी है तब से सभी लोग यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि लोन की ईएमआई कम हो जाएगी। लेकिन देश के इस बड़े प्राइवेट बैंक ने धीरे से लोन की ईएमआई को और भी महंगा कर दिया।

By Sanwarmal Choudhary

Published on:

7:20 AM

HDFC Bank Loan Interest: भारतीय रिजर्व बैंक की गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट को 6.50% इसे कम करके 6.25% कर दिया है। रेपो रेट का मतलब तो आप समझते हैं कि जैसे हमें पैसों की जरूरत होती है तो हम बैंक से लोन लेते हैं वैसे ही बैंक को अगर पैसों की जरूरत होगी तो वह RBI से लोन लगी। अगर रेपो रेट में कटौती हुई है तो बैंक भी लोन की ईएमआई करेंगे इसकी पूरी संभावना है। लेकिन देश की बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी ने लोन को और महंगा कर दिया है।

HDFC बैंक ने MCLR में की बढ़ोतरी

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि HDFC बैंक ने कुछ समय के लिए मार्जिन कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स (MCLR) को 5 बेसिस प्वाइंट्स से बढ़ाया है। यह बढ़ोतरी सिर्फ ओवरनाइट पीरियड के लिए की गई है। बैंक ने ओवरनाइट पीरियड के लिए MCLR को 9.15 फीसदी से बढ़ाकर 9.20 फीसदी कर दिया गया है। ये नई ब्याज दरें 7 फरवरी 2025 से लागू हो गई हैं। MCLR में बढ़ोतरी से बैंक लोन लेना अब महंगा हो जाएगा। इस बढ़ोतरी का असर सभी लोन पर नहीं पड़ने वाला क्योंकि यह बढ़ोतरी सिर्फ ओवरनाइट पीरियड के लिए है।

अगर आपने ओवरनाइट पीरियड के लिए लोन लिया है तो MCLR बढ़ने से आपको थोड़ा ज्यादा ब्याज देना होगा और अगर आपने अलग ड्यूरेशन के लिए लोन लिया है तो इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

एमसीएलआर क्या है?

देश में सभी बैंक अपने ग्राहकों को लोन देते हैं और लोन देने की मिनिमम इंटरेस्ट रेट को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) बोलते हैं। यह रेट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित की जाती है। बैंक की ओर से MCLR को समय-समय पर बदला जाता है।

MCLR में बढ़ोतरी क्यों की जाती है?

  1. RBI द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी: जब RBI रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो बैंकों के लिए लोन लेना महंगा हो जाता है। इसलिए बैंक MCLR बढ़ाकर अपने ग्राहकों को लोन की लागत बढ़ाते हैं।
  2. बैंक के मुनाफे में कमी: जब बैंक के मुनाफे में कमी होती है, तो वे MCLR बढ़ाकर अपनी इनकम बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

नई MCLR दरें

  • ओवरनाइट- MCLR 9.15% से बढ़कर 9.20 फीसदी
  • एक महीने- MCLR 9.20% (कोई बदलाव नहीं)
  • तीन महीने- MCLR 9.30% (कोई बदलाव नहीं)
  • छह महीने- MCLR 9.40% (कोई बदलाव नहीं)
  • एक साल- MCLR 9.40% (कोई बदलाव नहीं)
  • 2 साल से ज्यादा पीरियड- 9.45% (कोई बदलाव नहीं)
  • 3 साल से ज्यादा पीरियड- 9.50% (कोई बदलाव नहीं)

Sanwarmal Choudhary

मुझे B.Sc. फाइनल पास किए हुए 4 साल से ज्यादा हो गया और अब मैं फाइनेंस, बिजनेस और मार्केट के ट्रेंडिंग टॉपिक्स के बारें में लिख रहा हूँ। इन क्षेत्रों में गहरी रुचि और अनुभव है। अपने आर्टिकल्स के जरिए Janata Times 24 के पाठकों को बिजनेस ट्रेंड्स, फाइनेंशियल टिप्स और बाजार की जानकारी देता हूँ।

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