रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए जिन बैंकों ने नियमों का उल्लंघन किया था उनके लिए कठोर कदम उठता आ रहा है। ऐसा ही कुछ इस साल किया और 11 बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया।
दरअसल जिन सहकारी बैंकों के पास पर्याप्त कुंजी नहीं होती उन्हीं के आरबीआई लाइसेंस रद्द करता है। ये सभी बैंक जमाकर्ताओं को पुन: भुगतान की गारंटी नहीं दे सकते थे। जिस कारण पैसे की सुरक्षा के लिए इन बैंकों का लाइसेंस रद्द किया गया है।
2024 में इन बैंकों पर लिया गया एक्शन
- उरावकोंडा को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, आंध्र प्रदेश
- जय प्रकाश नारायण नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बसमथनगर, महाराष्ट्र
- द महाभैरब को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तेजपुर, असम
- द सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र
- द हिरीयुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड हिरीयुर, कर्नाटक
- दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
- पूर्वांचल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गाजीपुर, यूपी
- बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वाराणसी
- शिम्शा सहकारी बैंक नियमित, मद्दूर, मंडया, कर्नाटक
- श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, दाभोई, गुजरात
- सुमेरपुर मर्केंटाइल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सुमेरपुर, पाली राजस्थान
अकाउंट होल्डर पर क्या असर पड़ेगा?
आरबीआई जब भी किसी बैंक को बंद करता है तो उसका असरअकाउंट होल्डर पर उतना ही पड़ेगा जितना उनके अकाउंट में जमा राशि होती है। जिनके अकाउंट में 5 लाख तक की जमा राशि होती है उन्हें डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन
भारत में एक नियम है। अगर कोई बैंक बंद हो जाता है तो उस बैंक में आपके पैसे जो पांच लाख रुपये तक हैं, वो आपको वापस मिल जाएंगे। इस काम को एक संस्था करती है, जिसका नाम है डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन। वहीं अगर आपके बैंक में पांच लाख रुपये से ज्यादा पैसा जमा है और बैंक बंद हो जाता है, तो आपको उतना पैसा वापस नहीं मिलेगा। यानी आपको नुकसान हो सकता है।
DICGC सभी तरह के बैंक खातों का बीमा करती है। मतलब, चाहे आपका खाता बचत खाता हो, चालू खाता हो या फिर किसी और तरह का खाता हो, अगर बैंक बंद होता है तो आपको पांच लाख रुपये तक का पैसा वापस मिल जाएगा।