बिना किसी जोखिम के अच्छा बनाने वालों के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सबसे बेस्ट स्कीम। इस सरकारी योजना में निवेशक 15 साल की अवधि तक अपने पैसे इसमें डालते है, जिसमें मौजूदा समय में 7.1% वार्षिक ब्याज मिलता है।
पब्लिक प्राइवेट फंड EEE कैटेगरी में आती है, जिसका सीधा सा मतलब है कि इसमें निवेश, अर्जित ब्याज और मेच्योरिटी अमाउंट तीनों पर टैक्स से से छूट मिलती है। कई बार ऐसा होता है कि निवेशक 15 साल की अवधि पूरी किए बिना ही पीपीएफ अकाउंट बंद करना चाहते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या पीपीएफ अकाउंट को बीच में बंद किया जा सकता है और इसके लिए क्या शर्तें और प्रक्रियाएं हैं।
छठे साल से आंशिक निकासी का ऑप्शन
पीपीएफ खाते को नॉर्मल सिचुएशन में 15 साल का टाइम पूरा होने के बाद ही बंद किया जा सकता है, लेकिन अगर आपको पैसों की जरूरत है, तो छठे वित्तीय वर्ष से आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) का ऑप्शन मिलता है। इस दौरान आप अपने खाते से कुल जमा राशि का 50% तक निकाल सकते हैं। छठे साल से पहले पीपीएफ अकाउंट पर लोन लेने की सुविधा मिलती है। यह लोन आप खाता खोलने के एक साल बाद और पांचवें वित्तीय वर्ष के खत्म होने तक ले सकते हैं। इस लोन की लिमिट कुल जमा राशि का 25% तक होती है।
इमरजेंसी में प्रीमैच्योर क्लोजर का ऑप्शन
कुछ स्पेशल कंडीशन में पीपीएफ खाता 15 साल से पहले भी बंद किया जा सकता है। प्रीमैच्योर क्लोजर की स्थिति में खाते पर पीपीएफ अकाउंट से कमाए गए ब्याज से 1% कटौती करके राशि वापस की जाती है। नीचे दी गई स्पेशल कंडीशन में ही प्रीमेच्योर क्लोजर का ऑप्शन मिलता है:
- मेडिकल इमरजेंसी: यदि खाता धारक, उनकी पत्नी या बच्चों के इलाज के लिए पैसों की जरूरत हो।
- एजुकेशन के लिए: खाता धारक या उनके बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पीपीएफ अकाउंट क्लोज कर सकता है।
- फॉरेन ट्रांसफर: अगर अकाउंट होल्डर हमेशा के लिए विदेश शिफ्ट हो रहे हों।
- निधन की स्थिति: खाता धारक के निधन पर खाता नॉमिनी को बंद करना होता है।
प्रीमैच्योर क्लोजर की प्रक्रिया
पीपीएफ खाते को प्रीमैच्योर बंद कराने के लिए आपको संबंधित बैंक या पोस्ट ऑफिस की शाखा में लिखित आवेदन देना होगा। आवेदन में खाते को बंद करने का कारण स्पष्ट करना होता है। इसके साथ कुछ दस्तावेज जैसे पीपीएफ पासबुक की कॉपी, मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में मेडिकल सर्टिफिकेट, उच्च शिक्षा के लिए फीस रसीद और एडमिशन डॉक्युमेंट्स या निधन की स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट अटैच करना होता है। सभी डॉक्यूमेंट वेरीफाई होने के बाद खाता क्लोज कर दिया जाता है, लेकिन पेनल्टी के तौर पर ब्याज में कटौती की जाती है।