इस वजह से नहीं छिपती स्त्रियों के मन में कोई भी बात, जाने महाभारत की पूरी कहानी

By Team Janata Times 24

Published on:

7:22 PM

कुल मिलाकर 18 दिन चलने वाले महाभारत के युद्ध के दौरान कुछ ऐसी चीज घटित हुई है जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आज हम इस आर्टिकल में एक ऐसी ही बात को दोहराने वाले हैं जब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी मां कुंती के साथ-साथ पूरी नारी जाति को श्राप दे दिया था। 

महाभारत के युद्ध की कहानी तो सब ने ही सुन रखी है इसी युद्ध के में कई ऐसी घटनाएं घटीं जो आज भी स्मरणीय हैं। इन्हीं में से एक घटना है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती को क्रोध में आकर श्राप दिया जिसका प्रभाव आज भी नारी जाति पर माना जाता है। यह कहानी महाभारत युद्ध के बाद की है जब युधिष्ठिर को एक ऐसी सच्चाई का पता चला जिसने उन्हें गहरे शोक और क्रोध से भर दिया।

महाभारत के युद्ध के बाद जब कौरवों और पांडवों के सभी प्रियजन युद्धभूमि में बिछ चुके थे तब कुंती ने अपने सबसे बड़े पुत्र कर्ण के शव को गोद में लेकर विलाप किया। यह दृश्य देखकर पांडव आश्चर्यचकित रह गए और कुंती से इसका कारण पूछा। कुंती ने रोते हुए बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा पुत्र था जो सूर्य देव और उनके मिलन से उत्पन्न हुआ था। यह बात सुनकर युधिष्ठिर को गहरा धक्का लगा। उन्होंने महसूस किया कि अनजाने में उन्होंने अपने ही भ्राता का वध कर दिया।

कर्ण के जन्म की कथा

कर्ण के जन्म से जुड़ी कहानी भी अत्यंत रोचक है। कुंती को उनके किशोरावस्था में ऋषि दुर्वासा ने एक विशेष मंत्र प्रदान किया था जिसके माध्यम से वह किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उनसे संतान प्राप्त कर सकती थीं। एक दिन कुंती ने इस मंत्र की परीक्षा लेने के लिए सूर्य देव का आवाहन किया। सूर्य देव के आशीर्वाद से उन्हें कवच-कुंडल धारी पुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई। लेकिन समाज में बदनामी के डर से कुंती ने उस नवजात को एक संदूक में रखकर नदी में बहा दिया। कर्ण का पालन-पोषण राधा और अधिरथ नामक सारथी ने किया और इस कारण वह राधेय कहलाए।

श्राप देने की वजह

जब युधिष्ठिर को यह पता चला कि कर्ण उनके बड़े भ्राता थे तो वह अत्यंत दुखी और क्रोधित हो उठे। उन्होंने अपनी मां कुंती से कहा कि यदि वह यह सच्चाई पहले बता देतीं तो यह विनाशकारी युद्ध टाला जा सकता था। युधिष्ठिर ने इस बात को छुपाने के लिए कुंती को दोषी ठहराया और अपने क्रोध में समस्त नारी जाति को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि अब से कोई भी स्त्री किसी भी बात को अपने भीतर छिपाकर नहीं रख सकेगी। इस श्राप का प्रभाव आज भी महिलाओं के स्वभाव पर देखा जाता है।

युद्ध के बाद का शोक

महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला और इसमें लाखों लोग मारे गए। युद्ध के अंत में पांडवों ने गंगा किनारे अपने परिजनों का तर्पण किया। इस दौरान युधिष्ठिर का मन गहरे शोक और अपराधबोध से ग्रस्त था। उन्होंने ऋषि नारद से भी अपनी व्यथा साझा की। उन्होंने कहा कि उनकी विजय केवल भगवान कृष्ण और अपने भ्राताओं की शक्ति के कारण संभव हुई लेकिन इस युद्ध ने उनके जीवन को खाली कर दिया। कर्ण के बारे में सच्चाई जानने के बाद युधिष्ठिर ने अपनी जीत को भी हार के समान महसूस किया।

Team Janata Times 24

हर फील्ड में काफी ज्यादा अनुभवी लेखकों का समूह बनाकर, जनता टाइम्स 24 न्यूज़ पोर्टल हर काम की खबर को सबसे पहले कवर करने में लगा हुआ है। हमारा मकसद खबर की पूरी जाँच-पड़ताल करके बताना है ताकि दोबारा आम जनता को कहीं भटकना नहीं पड़े।

Leave a Comment