वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट 2025 पेश करने जा रही हैं और इस बार के बजट में करदाताओं को राहत देने की उम्मीद जताई जा रही है। टैक्सपेयर्स लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए थोड़ा ज्यादा टाइम दिया जाए। मौजूदा नियमों के अनुसार आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है, लेकिन इसे 31 अगस्त तक बढ़ाने की मांग की जा रही है। सरकार इस मांग पर अमल कर सकती है और 2025 के बजट में इसे लेकर कोई बड़ा ऐलान होने की पूरी संभावना है, जिससे लाखों करदाताओं को फायदा होगा।
क्या है ITR दाखिल का मौजूदा नियम?
बात करें इस समय मौजूद नियम की तो इसके अनुसार करदाताओं को अपना इनकम टैक्स रिटर्न 31 जुलाई तक दाखिल करना होता है, लेकिन इसके लिए उन्हें सबसे पहले अपने नियोक्ता या वित्तीय संस्थानों से फार्म 16 और अन्य जरूरी दस्तावेज प्राप्त करने होते हैं। फार्म 16 आमतौर पर 15 जून तक जारी किया जाता है यानी टैक्सपेयर्स को अपने रिटर्न को फाइल करने के लिए केवल 45 दिनों का टाइम मिलता है। कई करदाता मानते हैं कि यह टाइम काफी नहीं है क्योंकि डॉक्यूमेंट को इकट्ठा करने और सही तरीके से रिटर्न भरने में ज्यादा टाइम लग सकता है। यही वजह है कि करदाता ITR की अंतिम तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त करने की मांग कर रहे हैं।
देरी से ITR फाइल करने पर लगता है भारी फाइन
अगर कोई टैक्सपेयर 31 जुलाई की डेडलाइन तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है। अगर करदाता 30 दिसंबर तक अपना रिटर्न फाइल करता है तो उसे 1,000 रुपये का फाइन देना पड़ता है लेकिन अगर 30 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल किया जाता है तो यह जुर्माना बढ़कर 5,000 रुपये तक हो जाता है। इसके अलावा देरी से रिटर्न भरने पर ब्याज और अन्य कानूनी कार्यवाही का भी सामना करना पड़ सकता है। इसी वजह से टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि सरकार देरी से रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को 31 मार्च तक बढ़ाए, जिससे वे अपनी विदेशी आय और टैक्स क्रेडिट की जानकारी को सही ढंग से दर्ज कर सकें और फाइन से बच सकें।
बजट 2025 में क्या हो सकता है?
बजट 2025 में सरकार करदाताओं को राहत देने के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख बढ़ा सकती है। इससे करदाताओं को पूरा टाइम मिलेगा और वे बिना किसी दबाव के अपने दस्तावेज तैयार कर सकेंगे। इसके अलावा सरकार टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकती है, जिससे करदाताओं को और राहत मिल सके।