अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और अपनी रिटायरमेंट के बाद पेंशन सुरक्षा को लेकर टेंशन ले रहे हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। देश में एकीकृत पेंशन योजना (Unified Pension Scheme – UPS) की शुरुआत 1 अप्रैल 2025 से होने जा रही है। इस योजना के तहत मौजूदा और नए सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) जैसी गारंटीशुदा पेंशन का लाभ उठा सकेंगे। इस नई पेंशन स्कीम के आ जाने के बाद करीब 23 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। लेकिन इसके बाद सभी के दिमाग में एक कन्फ्यूजन रहता है कि यूपीएस या एनपीएस में से कौन सी पेंशन स्कीम को चुनना चाहिए। चलिए आज हम दोनों पेंशन स्कीम में क्या-क्या अंतर है बताने वाले हैं।
यूपीएस और एनपीएस में क्या अंतर है?
एनपीएस और यूपीएस को समझना जरूरी है ताकि आप सही विकल्प चुन सकें। एनपीएस में आपकी पेंशन इस बात पर निर्भर करती है कि आपके निवेश का रिटर्न कैसा रहा। इसमें कोई न्यूनतम पेंशन की गारंटी नहीं है और रिटायरमेंट के बाद आपको 40% फंड से एन्यूटी प्लान खरीदना पड़ता है। साथ ही इसमें ग्रेच्युटी भी नहीं मिलती।
दूसरी तरफ, यूपीएस में सरकार हर महीने कम से कम 10,000 रुपये की पेंशन देने का वादा करती है। अगर आपकी सर्विस 25 साल की है, तो आखिरी सैलरी का 50% पेंशन बनेगा। इसमें ग्रेच्युटी भी मिलेगी और कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार को 60% पेंशन मिलेगी। कुल मिलाकर यूपीएस ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद नजर आती है।
UPS में पेंशन की शर्तें क्या होंगी?
- कम से कम 10 साल की सेवा अनिवार्य होगी, तभी पेंशन मिलेगी।
- कर्मचारियों को अपने मूल वेतन से 10% का अंशदान देना होगा, जबकि सरकार 18.5% योगदान करेगी।
- UPS के तहत न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह गारंटीशुदा पेंशन मिलेगी।
- 25 साल की सेवा पूरी करने पर अंतिम 12 महीनों के औसत वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा।
- अगर सेवा अवधि 10 से 25 साल के बीच है, तो पेंशन की राशि समानुपातिक आधार पर तय होगी।
- मृत्यु की स्थिति में परिवार को अंतिम वेतन का 60% हिस्सा फैमिली पेंशन के रूप में मिलेगा।